21 March, 2011

AP Samachar - 21 March, 2011

Press Meet on 18th March at Bhagyanagar

 
Sri Dusi Ramakrishna Kshetra Karyavaha is addressing the media persons, Justice S.Parvata Rao Kshetra Sanghachalak and Sri T.V.Deshmukh are also on dias.


A press meet was convened by Viswa Samvad Kendra Hyderabad at the premises of the Sangh karyalay  in Barkatpura in Hyderabad on 18th March 2011 at 11AM.

This Press conference was initiated by Shri Mallikarjun Rao of Samachar Bharathi and chaired by Justice Parvath Rao Kshetra Sangachalak and after brief introduction b y pranta Sangachalak  shri Deshmukhji. Press meet was addressed by Shri Shri Dusi Ramakrishna Kshetra Karyavaha of Karnataka & Andhra region.

Addressing the Press conference attended by the electronic and the Print Media Mr Ramakrishna informed the press about the resolutions passed at the Akhil Bharat Pratinidhi Sabha at Puttur in Karnataka. Resolutions on Anti-Corruption ,China's imperialistic designs .

He empathised that the Sangh is in the forefront of various welfare actitivities and has its presence in more than 27,000 villages with branches around 39,000. Sangh dedication to relief and rehabilitation activities are well known . 

In Andhra Pradesh , Sangh activities are most vibrant with its presence in 493 villages and with branches in more than 620. West Andhra  has more than 1401 branches in more than 1017  towns and villages . Weekly Shakas in both regions account in more than 1200 villages. 

Mr Ramakrishna explained that Sangh is educating the masses with its own publications "Loka Hitam" and "Hindu Nagara" in Telugu which reaches more than 14,000 Villages in AP.

RSS conducts camps every year aimed at personality development and train its volunteers  in Sangh work. In this context  Purva Andhra trained 1400 swayamsecvaks and Paschim Andhra has trained 3000 swayamsevaks  in a camp that ended recently lasting for one week.Similarly in the month of May , we are expecting more than 1500 swayamsevaks for a camp that shall last for more than 20 days,Mr Ramakrishan added.

Answering queries from the press,Mr Ramkrisha said "Sangh thanks courageous individuals, organizations and the constitutional institutions, alert media and vigilant Judiciary for their efforts against corruption in the present challenging scenario and offered whole hearted support as long the movement is non-political in nature. He recalled that JP movement in this context.

Mr Ramakrisha pleaded through   the media and called upon the citizens to extend their active support for noble endeavours with  utmost personal integrity and also nourish our traditional social institutions actively involved in character-building of our nation, herculean task  carried out by the Sangh .

News Paper cuttings, Printed in media on next day.
 


Swatantra Vaartha
  • कश्मीर के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव के संकेत
    भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे रोमर ने गत सप्ताह १८१९ मार्च की अपनी दो दिवसीय जम्मूकश्मीर यात्रा के दौरान राज्य के अलगाववादी नेताआें से मुलाकात नहीं की। टिमोथी की यह पहली यात्रा थी और इस पहली यात्रा में ही उन्होंने जम्मूकश्मीर के प्रति अमेरिकी नीति में हुए बदलाव का संकेत दिया। यह शायद पहली बार हुआ कि किसी विदेशी राजनयिक ने जम्मूकश्मीर की यात्रा की और अलगाववादी नेताआें से अपने को दूर रखा अन्यथा प्रत्येक विदेशी राजनयिक के लिए यह अपरिहार्य कर्मकांड था कि वह अलगाववादियों से अवश्य मुलाकात करे। उनसे इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि वह यहां केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों से मिलने आए थे। उन्हाेेंने यहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की क्योंकि वही वह व्यक्ति हैं जो जम्मूकश्मीर की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    टिमोथी ने बताया कि इस समय उनका मिशन देश के सभी प्रमुख भागों की यात्रा करना है और इस यात्रा के दौरान वह संबंधित इलाकों के युवाआें तथा छात्रों से मिलना चाहते हैं। राजनीतिक स्तर पर वह केवल निर्वाचित नेताआें से ही मुलाकात करेंगे, क्योंकि वही वास्तव में आज जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। पत्रकारों के बीच व्यक्त किये गये उनके इस तरह के विचारों पर कश्मीरी अलगाववादी नेताआें ने आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने अभी कोई औपचारिक वक्तव्य तो नहीं दिया है, लेकिन प्राप्त खबरों के अनुसार वे अमेरिकी रुख में आये इस बदलाव से क्षुब्ध हैं। टिमोथी द्वारा व्यक्त दृष्टिकोण केवल कश्मीर के प्रति ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।
    अमेरिका अब तक खुलकर कश्मीर के संदर्भ में पाकिस्तान की नीति का समर्थन भले न करता रहा है, किंतु वह उसका मूक समर्थक तो था ही। पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती की द़ृढता प्रमाणित करने के लिए उसके लिए जरुरी था कि वह यदि उसकी कश्मीर नीति का खुला समर्थन नहीं करता तो कम से कम उस पर चुप रहे। लेकिन इधर के वषा] में हुए अनुभवों से अब अमेरिका का समझ में आ गया है कि पाकिस्तान की कश्मीर नीति भी आतंकवाद को ब़ढावा देने वाली है। उसकी इस नीति के पीछे केवल इस्लामी भ्रातृत्व नहीं, बल्कि इस्लामी विस्तारवाद की भावना छिपी है। अब इस समझदारी के बाद यह अनिवार्य था कि अमेरिका कश्मीर के प्रति अपनी नीति बदले और उसे खुली अभिव्यक्ति दे।
The New Indiau Express

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